Punjab Junction Weekly Newspaper / 08 August 2022
वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ आरती प्रभाकर को देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति कार्यालय (ओएसटीपी) की निदेशक के रूप में नामित किया है। अगर बाइडन के इस प्रस्ताव को सीनेट की ओर से मंजूरी मिल जाती है तो ओएसटीपी के निदेशक का पद संभालने वाली डॉ आरती प्रभाकर पहली महिला होंगी। भारती अमेरिकियों ने इस नॉमिनेशन का स्वागत किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को कहा, ‘डॉ प्रभाकर बेहद विद्वान और सम्मानित इंजीनियर एवं भौतिक विज्ञानी हैं। वह विज्ञान, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का लाभ उठाकर इन क्षेत्रों में हमारी संभावनाओं का विस्तार करने, हमारी सबसे कठिन चुनौतियों को हल करने और असंभव को संभव बनाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति कार्यालय का नेतृत्व करेंगी।’ उन्होंने कहा कि मैं डॉ प्रभाकर के इस विश्वास से सहमत हूं कि अमेरिका के पास दुनिया की अब तक की सबसे शक्तिशाली इनोवेशन मशीनरी है।’
बाइडन कैबिनेट में शामिल होने वाली तीसरी एशियाई अमेरिकी
बाइडन ने कहा, ‘सीनेट उनके नामांकन पर विचार करेगी, मैं आभारी हूं कि डॉ अलोंड्रा नेल्सन ओएसटीपी का नेतृत्व करना जारी रखेंगे और डॉ फ्रांसिस कॉलिन्स मेरे कार्यकारी विज्ञान सलाहकार के रूप में काम करना जारी रखेंगे।’ एक बार पुष्टि हो जाने के बाद वह साइंस और टेक्नोलॉजी के लिए राष्ट्रपति की सहायक भी होंगी। अगर ओएसटीपी का नेतृत्व करने के लिए उन्हें चुन लिया जाता है तो प्रभाकर बाइडन कैबिनेट में शामिल होने वाली तीसरी एशियाई अमेरिकी होंगी। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई पहले से अमेरिकी राष्ट्रपति कैबिनेट का हिस्सा हैं।
साइंटिस्ट और इंजीनियर आरती प्रभाकर
आरती प्रभाकर एक इंजीनियर और भौतिक विज्ञानी हैं। डॉ प्रभाकर को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी का नेतृत्व करने के लिए सीनेट की ओर से सर्वसम्मत से चुना गया था। वह इस पद पर सेवा देने वाली पहली महिला थीं। इसके बाद उन्होंने डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (DARPA) के निदेशक के रूप में भी कार्य किया, जहां स्टील्थ एयरक्राफ्ट और इंटरनेट जैसी सफल तकनीकों का जन्म हुआ।
बम बनाने से पहले मैटेरियल का पता लगाने वाली टीम की निरीक्षक
डॉ प्रभाकर ने 2012 से 2017 तक DARPA के निदेशक के रूप में कार्य किया। यहां वह उन टीमों का निरीक्षण करती थीं जो आतंकियों के बम बनाने से पहले न्यूक्लियर और रेडियोलॉजिकल सामग्री का पता लगाने के लिए प्रणाली का निर्माण करती थी। यह टीम डार्क वेब में मानव तस्करी के नेटवर्क का पता लगाने के लिए उपकरणों का भी निर्माण करती थी। वाइट हाउस के मुताबिक प्रभाकर ने नोवेल बायोटेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए एक नए ऑफिस की स्थापना भी की थी।
Chief Editor- Jasdeep Singh (National Award Winner)