सतारा, पुणे, नागपुर… जानें कैसे महाराष्ट्र चुनाव से पहले शरद पवार के पैंतरों से परेशान अजित पवार और फडणवीस

Punjab Junction Weekly Newspaper / 04 September 2024

मुंबई : मराठा क्षत्रप शरद पवार के एक ही पैंतरे ने महायुति के दो दिग्गज देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को चित कर दिया है। उन्होंने फडणवीस के करीबी बीजेपी के मराठा नेता समरजीत सिंह घाटगे को बीजेपी से तोड़कर न सिर्फ फडणवीस, बल्कि अजित पवार और उनके करीबी मंत्री हसन मुश्रिफ के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। समरजीत सिंह घाटगे मंगलवार को बीजेपी का साथ छोड़ शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो गए। शरद पवार उन्हें अजित पवार के करीबी और राज्य के ग्राम विकास मंत्री हसन मुश्रिफ की कोल्हापुर के कागल सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाने जा रहे हैं।

मराठों के गढ़ में ताकत

साल 2023 की बरसात में भतीजे अजित पवार को मोहरा बनाकर मराठा क्षत्रप शरद पवार के ‘राजनीतिक अवसान’ का अनुष्ठान रचने वाले राजनीतिक पुराधाओं के प्रताप के लिए विधानसभा चुनाव से पहले यह बड़ा झटका है। क्योंकि, पश्चिम महाराष्ट्र की जिस प्रभावशाली मराठा ताकत का वोट और सपोर्ट पाने के लिए एनसीपी को तोड़ा गया था, वह सारा खेल अब बर्बाद होता दिख रहा है।

कई और नेताओं के शरद पवार में दिख रहा भविष्य

वर्तमान में कागल (कोल्हापुर) के समरजीत सिंह घाटगे अकेले ऐसे मराठा नेता नहीं हैं, जिन्हें अपना राजनीतिक भविष्य 54 साल के देवेंद्र फडणवीस के बजाय 83 वर्षीय शरद पवार के साथ सुरक्षित नज़र आ रहा है। उनके अलावा फलटन (सातारा) के रामराजे नाईक निंबालकर (अजित गुट), इंदापुर (पुणे) के हर्षवर्धन पाटील (बीजेपी) भी पवार के ‘पॉलिटिकल आकर्षण’ में हैं।

इससे पहले लोकसभा चुनाव में शरद पवार माढा में बीजेपी को जोरदार शिकस्त दे ही चुके हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज कोल्हापुर के शाहू महाराज को बीजेपी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ाकर जितवाकर पवार पश्चिम महाराष्ट्र में अपना राजनीतिक कौशल दिखा चुके हैं।

राजनीतिक विरासत की तिजोरी

पश्चिम महाराष्ट्र शरद पवार की राजनीति विरासत की तिजोरी है। भतीजे अजित पवार की बगावत के बाद शरद पवार अपनी इस तिजोरी की हिफाजत में जी-जान से जुटे हैं। जो मराठे सत्ता के आकर्षण में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति का हिस्सा बन गए हैं, वे शरद पवार की राजनीतिक तिजोरी को बचाने के लिए न सही, अपना राजनीतिक दमखम बचाने के लिए शरद पवार की तरफ लौटने को तैयार हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावी सीट बंटवारे में शरद पवार की ही चलने वाली है।

24 सीटों पर टकराव

फडणवीस के लाख मनाने और रोकने समझाने के बावजूद समरजीत घाटगे ने बीजेपी इसलिए छोड़ी, क्योंकि कागल की सीट अजित गुट के हसन मुश्रिफ को दी जानी है। बीजेपी किसी कीमत पर वह सीट नहीं पा सकती। बीजेपी घाटगे को विधान परिषद का लालच दे रही थी, लेकिन घाटगे विधानसभा लड़ने पर अड़े थे। राज्य भर में करीब 24 सीटें ऐसी हैं, जिन पर बीजेपी के उम्मीदवार अजित गुट के उम्मीदवार के ख़िलाफ़ मजबूत हैं, लेकिन उन्हें टिकट मिलने का भरोसा नहीं है। ऐसे कुछ और लोग भी बीजेपी छोड़ सकते हैं, बीजेपी के नेतृत्व को इस बात का अंदाजा है।

Chief Editor- Jasdeep Singh  (National Award Winner)