Punjab Junction Weekly Newspaper / 17 August 2022
नई दिल्ली: बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। उसी कड़ी में पार्टी ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया है।पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वर्तमान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी संसदीय बोर्ड से बाहर कर दिया गया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह, बी एस येदियुरप्पा, सर्बानंद सोनोवाल, के.लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, डॉ. सुधा यादव और सत्यनारायण जटिया को सदस्य के तौर पर संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है।
पार्टी के इस फैसले के बाद जहां एक तरफ नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान चर्चा में आ गए हैं। वहीं दूसरी तरफ संसदीय बोर्ड में शामिल हुईं एकमात्र महिला सदस्य डॉ. सुधा यादव को लेकर भी चर्चा हो रही है। इससे पहले बोर्ड में एकमात्र महिला सदस्य सुषमा स्वराज हुआ करती थीं जो 2014 से पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं। आइये जानते हैं सुधा यादव के राजनीतिक सफर के बारें में..
कारगिल युद्ध में शहीद हुए सुधा यादव के पति
सुधा यादव के पति सुखबीर सिंह यादव सीमा सुरक्षा बल (BSF) के डिप्टी कमांडेंट थे। कारगिल युद्ध में सीमा पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए वह शहीद हो गए थे। सुधा यादव पेशे से प्रवक्ता हैं। वर्तमान में सुधा बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव हैं। सुधा ने 1987 में रुड़की विश्वविद्यालय से स्नातक किया। जिसे अब आईआईटी रुड़की नाम से जाना जाता है। 2004 में सुधा यादव को महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने अगला चुनाव 2009 में गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र से लड़ा। मगर यहां भी सफलता नहीं मिली। 2015 में सुधा यादव को भाजपा ओबीसी मोर्चा का प्रभारी नियुक्त किया गया था।
साल 1999 में सुधा यादव की एंट्री राजनीति में हुई। करगिल युद्ध के बाद 1999 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को हरियाणा में शिकस्त देने के लिए बीजेपी को एक मजबूत उम्मीदवार की जरूरत थी। इस दौरान नरेंद्र मोदी हरियाणा के पार्टी प्रभारी थे, और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनसे महेंद्रगढ़ की लोकसभा सीट पर प्रत्याशी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने डॉ. सुधा यादव का नाम सुझाया। मगर सुधा चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं, सो उन्होंने मना कर दिया। सुधा यादव को मनाने की जिम्मेदारी प्रदेश प्रभारी नरेंद्र मोदी को ही सौंपी।
नहीं लड़ना चाहती थीं चुनाव
सुधा यादव खुद बताती है कि जब उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था तो उस दौरान हरियाणा के प्रभारी नरेंद्र मोदी से फोन पर उनकी बात हुई, उस समय नरेंद्र मोदी ने सुधा से कहा था कि आपकी जितनी जरूरत आपके परिवार को है उतनी ही जरूरत इस देश को भी है। सुधा बताती हैं कि पति की शहादत के बाद उनके लिए वो समय काफी मुश्किल भरा था, ऐसे में चुनाव लड़ने का ख्याल उनके मन में बिल्कुल नहीं था, लेकिन नरेंद्र मोदी की बातों ने उनका मनोबल बढ़ाया और वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गईं।
Chief Editor- Jasdeep Singh (National Award Winner)