Punjab Junction Newspaper | 26 December 2021
बचपन में उनसे जब कोई पूछता कि तुम्हारा नाम क्या है? तो वे कहतीं, अभी बना रही हूं, जब बन जाएगा, तो पता चल जाएगा। वाकई आज उन्होंने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में अपनी खूबसूरती और बुद्धिमता का परिचय देकर पूरे 21 साल के बाद जब मिस यूनिवर्स का ताज हासिल किया, तो फिर उनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं रह गया। हम बात कर रहे हैं, विश्व पटल पर भारत को गौरवान्वित करने वाली मिस यूनिवर्स हरनाज संधू की। अपने मजबूत इरादों के बलबूते पर ताज को घर लाने वाली हरनाज इस खास मुलाकात में मिस यूनिवर्स के अविस्मरणीय पलों के अलावा महिला मुद्दों, बचपन, परिवार, बॉलिवुड, लाइफ पार्टनर और भविष्य की योजनाओं के बारे में दिल खोलकर बात करती हैं।
हरनाज आपने मिस यूनिवर्स का ताज हासिल करके हर स्तर पर हमें गर्व और खुशी की अनुभूति करवाई है। जाने से पहले की जर्नी के बारे में तो आपसे बहुत सारी बातें हुई थीं, मगर इजरायल में किस तरह का अनुभव था?
आपको याद होगा कि मैंने आपसे कहा था कि मैं हरनाज हूं और देश का नाज बन के आऊंगी और मैंने वो कर दिखाया। मेरे साथ आप सभी लोगों की दुआएं, इतना प्यार और उम्मीदें थीं, तो शुरू में मुझ पर दबाव भी बहुत था। मगर मैं ये हमेशा से मानती हूं कि आपकी जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें और कठिनाइयां आएंगी, मगर कुछ भी असंभव नहीं है। मुझे जब भी ये खयाल आता था कि आगे क्या होगा? तो मैं सोचती कि अब मैं नहीं इंडिया है और इसी सोच ने मुझे कभी हार नहीं मानने दी। आप ही देखिए, आपकी शेरनी ले आई क्राउन।
आपके लिए सिर पर ताज पहनने का पल कैसा था?
उन्होंने जब इंडिया के नाम की घोषणा की, तो मेरी आंखों में आंसू थे। मैं रो पड़ी और उस वक्त मुझे अहसास हुआ कि वो मेरा ही नहीं बल्कि पूरे भारत का सपना था, जो पूरा हुआ है। उन्होंने जब मुझे ताज पहनाया, तो उस वक्त मुझे महसूस हुआ कि ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को मुझे अच्छी तरह से निभाना है। अब मुझे मुद्दों पर बातें करनी हैं, जैसे वुमन एम्पॉवरमेंट, मेंस्ट्रुअल हाइजीन और वे तमाम इश्यूज जिन पर मिस यूनिवर्स बात करती है, मुझे उन पर काम करना है।
महिला सशक्तिकरण से संबंधित ऐसा कौन-सा मुद्दा है, जिस पर आपको लगता है कि तुरत-फुरत काम होना चाहिए?
ये सच है कि हमारे देश में कई मुद्दे हैं, मगर मुझे लगता है जिस पर फौरन बात होनी चाहिए, वो है अपने जीवनसाथी को चुनने का अधिकार। सिर्फ कानून बनाने से बात नहीं बनेगी। इंडिविजुअल होने के नाते हम लड़कियों को ये समझना होगा कि हमारी जिंदगी और भविष्य की बागडोर हमारे हाथ में है। अपना जीवन साथी चुनने का हक हमारा है। हमारा परिवार हम पर दबाव नहीं डाल सकता कि हम उनकी मर्जी से पार्टनर चुनें। आपको अपने लिए आवाज बुलंद करनी होगी। आप पहले अपने परिवार और फिर अपने पति के प्रेशर में क्यों जीना चाहते हो? जबकि आप अपनी जिंदगी अपने अनुसार जी सकते हैं। चूंकि मेरी मां गाइनैकॉलजिस्ट हैं, तो मैं मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर भी काम करना चाहती हूं। मैंने देखा है कि पूरी दुनिया में औरतें अपने शरीर के बारे में बात करते हुए असहज हो जाती हैं। चाहे वो ब्रेस्ट कैंसर हो या मेंस्ट्रुअल हाइजीन, क्योंकि उन्हें सिखाया जाता है कि खुद से पहले उन्हें परिवार को आगे रखना होगा। मैं महिलाओं को उनकी सेहत के प्रति जागरूक करना चाहती हूं।
…………………..…………………………Chief Editor Jasdeep Singh