अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी रिलायंस कैपिटल का क्‍या है मसला? अब कर्जदाताओं ने लगाया यह आरोप

Punjab Junction Weekly Newspaper / 01 September 2024

नई दिल्ली: कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएपी) का मसला फंसता जा रहा है। इसके कर्जदाताओं ने हिंदुजा ग्रुप की कंपनी आईआईएचएल पर आरोप लगाया है। उन्‍होंने कहा है कि आईआईएचएल देरी करने की रणनीति अपना रही है। इसके चलते समाधान योजना को लागू करने में भी विलम्ब हो रहा है। मॉरीशस स्थित इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (आईआईएचएल) रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए सफल बोलीदाता के रूप में उभरी थी। अनिल अंबानी के नेतृत्‍व में रिलायंस कैपिटल ने कभी एचडीएफसी को पीछे छोड़ दिया था। अर्श से फर्श पर आई यह कंपनी फाइनेंशियल वर्ल्‍ड का चमकता सितारा मानी जाती थी।

आईआईएचएल ने मंजूरी बाद में ली

सूत्रों के अनुसार, कर्जदाताओं ने दावा किया कि आईआईएचएल ने औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) से मंजूरी लेने का कदम बाद में उठाया है। उन्होंने कहा कि यह 27 फरवरी, 2024 को समाधान योजना को मंजूरी देते समय एनसीएलटी की तय शर्तों का हिस्सा भी नहीं था। इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए आईआईएचएल को भेजे गए सवालों का फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है।

डीआईपीपी की मंजूरी क्‍यों है जरूरी?

सूत्रों के अनुसार, आईआईएचएल के डीआईपीपी के पास आवेदन जमा किए हुए 90 दिन बीत चुके हैं। लेकिन, मंजूरी अभी भी लंबित है। डीआईपीपी की मंजूरी इसलिए जरूरी है, क्योंकि आईआईएचएल के कुछ शेयरधारक हांगकांग के निवासी हैं, जो चीन नियंत्रित एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है।

प्रेस नोट तीन के अनुसार, अगर भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले किसी देश (चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान) की कोई इकाई, नागरिक या स्थायी निवासी भारत में निवेश करता है तो उसे सरकार से इसके लिए मंजूरी लेनी होगी।

Chief Editor- Jasdeep Singh  (National Award Winner)