परिणीति चोपड़ा दूरबीन लेकर तलाश रही हैं ऐसा लड़का, बोलीं- दिल में घंटी बजेगी, मोहब्बत होगी तभी करूंगी शादी

Punjab Junction Weekly Newspaper / 11 October 2022

अपनी पिछली फिल्मों में चाहे वो ‘गर्ल ऑन द ट्रेन’ हो, ‘संदीप और पिंकी फरार’ हो या ‘सायना’, सभी किरदारों में परिणीति चोपड़ा को सराहना मिली, हां ये अलग बात है कि बॉक्स ऑफ़िस की शोहरत का उन्हें अभी भी इंतजार है। इन दिनों वे चर्चा में हैं अपनी जल्द रिलीज होने वाली फिल्म ‘कोड नेम तिरंगा’ से। इस फिल्म में वे पहली बार एक्शन अवतार में नजर आएंगी। इस खास मुलाकात में वे अपनी फिल्म, एक्शन, इमेज चेंज, शादी,प्यार और बॉयकॉट जैसे मुद्दों पर बेबाकी से बात करती हैं। उन्होंने हाल ही में ‘नवभारत टाइम्स’ के साथ खास बातचीत की है।

आपकी पिछली फिल्मों में चाहे वो गर्ल ऑन द ट्रेन हो, संदीप और पिंकी फरार हो या सायना, सभी ने आपके काम की तारीफ की, मगर आपको शोहरत नहीं मिली?
मैं तो अपने तरह-तरह के रोल्स के इस नए फेज को इंजॉय कर रही हूं। मुझे लगता है कि गर्ल ऑन द ट्रेन से इसकी शुरुआत हुई है और अब तिरंगा आ रही है। दिक्कत ये थी कि ये सभी ओटीटी फिल्में थीं और ओटीटी में नंबर नहीं होते हैं, उसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन नहीं होता, तो उनका शोर नहीं होता है। मैं खुद एक नया दौर करने की कोशिश कर रही हूं। अगर दर्शक इसमें मेरे साथ शामिल हुआ है, खासकर नए लोग, तो उसमें थोड़ा तो समय जाएगा।मैं हमेशा ये बात कहती हूं कि हम जब जिम जाते हैं, तो छह महीने बाद रिजल्ट दिखते हैं। मेरी फिल्मों के मामले में अच्छी बात ये रही कि मेरे किरदारों ने लोगों पर अपनी छाप छोड़ी।


करियर के किस मोड़ पर लगा कि आपको बबली गर्ल, अ गर्ल नेक्स्ट डोर की इमेज से हटकर कुछ अलग करना चाहिए?

मैं एक फिल्म के सेट पर जा रही थी और मुझे लगा कि रोल, तो मै नींद में भी कर लूंगी। मैं हमेशा पढ़ाकू स्टूडेंट रही हूं। जब मैं खुद किसी चीज पर मेहनत नहीं करती, तो मुझे लगता है नहीं कि मैंने कुछ किया है। ये अहसास मुझे पसंद नहीं है। मुझे थका हुआ होना सबसे ज्यादा पसंद है। जब मैं घर जाकर सोचती हूं कि आज कितना कुछ किया, तो मुझे बहुत अच्छी नींद आती है। ये फीलिंग जब कम हो गई, तो लगा कि मुझे कुछ अलग करना है। ये मैं दो-तीन साल से सोच रही थी।मगर इस इंडस्ट्री की परेशानी ये है कि कई बार नई इमेज बनाने के लिए आपको नई तरह की फिल्म करनी पड़ती है, मगर आपको नई फिल्म आसानी से मिलती नहीं है।बहुत मुश्किल से ऐसी फिल्म मिल पाती है, जो आपकी नई इमेज बना सके। इसके लिए मैं दिबाकर (निर्देशक दिबाकर बनर्जी) रिभु सर (कोड नेम तिरंगा के निर्देशक रिभुदासगुप्ता) और अपनी हालिया फिल्मों के सभी निर्देशकों को श्रेय देना चाहूंगी, जो मुझे यह मौका मिला।


आपकी ताजातरीन फिल्म कोड नेम तिरंगा देशभक्ति के साथ-साथ एक एक्शन फिल्म भी है, आपकी मानसिक और शारीरिक तैयारियां क्या रहीं?
मैं बहुत एक्साइटेड थी। रिभु दासगुप्ता सर ने मुझमें फिर कुछ ऐसा देखा, जो किसी ने नहीं देखा।मैं हमेशा से एक्शन फिल्म करना चाहती थी। पांच-छह सालों से सोच रही थी कि मुझे कोई उस नजरिए से क्यों नहीं देख पा रहा है और जब मुझे ये रोल मिला, तो मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी। मैं पूरे उत्साह और मेहनत के साथ फिल्म से जुड़ी। वैसे बहुत मेहनत लगी है। चार महीनों की एक्शन ट्रेनिंग, वो भी लॉकडाउन में। आप सोचिए पूरा शहर बंद है। मैं और मेरी स्टंट टीम एक होटल के कमरे में सारा दिन मेहनत करते थे। एक महीने हमने टर्की में भी जाकर ट्रेनिंग की। रोज शूटिंग में चोटें लगना, तो आम बात हो गई थी। वही मेरी अचीवमेंट थी। शूटिंग से पहले से ही मैं काफी खुश थी इसलिए मानसिक तौर पर भी तैयार थी। इसके लिए मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं थी। आज फिल्म के लिए जो फीडबैक पा रही हूं, वो कमाल का है। कई लोगों का कहना है कि उन्हें लगा नहीं था कि मैं एक्शन कर पाऊंगी। लेकिन मैं अच्छा कर रही हूं मुझे याद है ये मेरी बहन (प्रियंका चोपड़ा) के साथ हुआ था, जब वो डॉन में आई थी, तो कई लोगों को लगा नहीं था कि वे एक्शन कर पाएंगी, लेकिन उन्होंने किया। वही फीलिंग मुझे भी आ रही है।


फिल्म के दौरान लगने वाली चोटों का भी आपने जिक्र किया, क्या कभी शो मस्ट गो ऑन वाली सिचुएशन आई?
चोटों से ज्यादा हम कोविड के कारण परेशान हुए। हर दिन हमें पता नहीं होता था कि आज शूटिंग हो पाएगी या नहीं? फिर कभी लोकेशन की प्रॉब्लम थी, तो कभी ट्रैवलिंग की। कोविड हो जाने पर 14-14 दिनों के लिए क्वारंटीन होना पड़ता था। हमें लगने लगा कि क्या हम फिल्म पूरी कर पाएंगे? मगर रिभु सर का मानना था कि मैं पूरी फिल्म का केंद्र थी। सभी को जोड़े रखती, सभी का खयाल रखती। असल में मैं इस फिल्म को बहुत अच्छे तरीके से पूरा करना चाहती थी। मगर ये सच है कि एक्शन फिल्म होने के अपने चैलेंजेस थे। ऑनस्क्रीन मेरी जिनसे फाइट हो रही थी, उनकी हाइट मुझसे दोगुनी थी और मेरे लिए उन्हें पुश करना भी बहुत मशक्कत का काम होता था। मैंने कई इंजरी झेलीं। मेरा बुरा हाल होता था, मगर शो मस्ट गो ऑन। हम जानते थे कि फिल्म को पूरा करना हमारा एकमात्र लक्ष्य है।


लोग भले कितनी भी शिकायत क्यों न करें कि हमारी एक्ट्रेसेस एक्शन रोल्स में नहीं आतीं। मगर जब आतीं हैं, तब दर्शक थिएटर तक नहीं आते। इसका ताजा उदाहरण है, कंगना की एक्शन प्रधान धाकड़?
मैं यहां एक बात साफ करना चाहूंगी कि आप भले कितना भी जबरदस्त एक्शन कर लें, मगर कहानी का कोर मजबूत होना जरूरी होता है। किसी फिल्म के गाने बहुत धमाकेदार होते हैं, मगर वे तभी चल पाते हैं, जब फिल्म चलती है, तो फिल्म का इन टोटैलिटी में स्ट्रॉन्ग होना जरूरी है। मैंने मेहनत की है, ऑडियंस मेरा एक्शन भी स्वीकार कर लेगी, मगर सबसे ज्यादा जरूरी है फिल्म का चलना। फिल्म चलने के लिए एक्शन या म्यूजिक के साथ-साथ कहानी और इमोशन का वर्क करना भी जरूरी है।


अगर मैं आपकी फिजिकैलिटी की बात करूं, तो अतीत में आपने उसे लेकर काफी कुछ सुना है, मगर आज आप अपने बेस्ट रूप में हैं, तो क्या वो डर और प्रेशर आज भी रहता है?
अब वो प्रेशर नहीं रहता, क्योंकि जिस तरह की बॉडी मैंने चाही थी, मैंने पा ली। जब मैं यहां नई-नई आई थी, तब मैं काफी अनफिट थी। तीन-चार फिल्मों के बाद मैंने जाना कि अगर मुझे अलग तरह के किरदार करना हैं, तो मुझे एक खास टाइप की बॉडी में ढालना होगा। कई लोग ये कहते हैं कि तुमने ये प्रेशर में आकर किया, मगर मुझे यदि कोड नेम तिरंगा जैसे चरित्र निभाने हैं, तो फिट तो रहां ही होगा। अगर मुझे गोलमाल जैसी कॉमिडी करनी है, तो परदे पर आकर्षक लगना ही होगा। अब फिट हूं, तो कुछ सुनना नहीं पड़ता।


हाल ही में आपने अपने माता-पिता की शादी की 35 वीं सालगिरह पर एक प्यारी-सी पोस्ट लिखी। आपकी बहन प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस की शादी भी एक आदर्श शादी मानी जाती है। आप शादी के बारे में क्या सोचती हैं?
अरे आप तो मेरे घाव पर नमक मत छिड़किए। मैं फिलहाल दूरबीन लेकर लड़का ढूंढ रही हूं। देखिए, प्यार बहुत खूबसूरत चीज है। मुझे सही लड़का मिलेगा, तो में खुशी-खुशी सबको बताऊंगी। असल में शादी के लिए मैं जिस तरह के लड़के की तलाश में हूं, उसका क्राइटेरिया कुछ ज्यादा ही हाई है। वैसे शादी के बारे में मेरा मानना है कि जब तक आपको प्यार न मिले, शादी नहीं करनी चाहिए। फिर चाहे वो आपको 80 साल की उम्र में मिले।आप अगर एक ऐसी शादी में फंस जाएं, जिसमें प्यार नहीं है, तो फिर उससे बुरी जिंदगी कोई हो ही नहीं सकती।मुझे नहीं लगता कि आप एक निश्चित उम्र में महज इसलिए किसी से भी शादी कर लो कि आपकी शादी की उम्र हो गई है। जब तक मुझे मोहब्बत नहीं होगी या मेरे दिल-दिमाग में घंटी नहीं बजेगी, तब तक मैं तो शादी करने से रही। वैसे भगवान यही चाहते हैं कि फिलहाल मैं काम पर फोकस करूं। मैं अपने करियर के बहुत रोचक फेज में हूं। अच्छा है कि मेरा दिमाग कहीं और नहीं है।


आप एक सेल्फ मेड लड़की हैं, आज के दौर में लड़कियों की सबसे बड़ी चुनौती क्या मानती हैं?
लड़कियों की सबसे बड़ी चुनौती है उनके प्रति दूसरों की सोच। हम बहुत कुछ करना चाहते हैं, मगर समाज और दूसरों के बनाए हुए नियम-कानून हमें वो सब करने से रोकते हैं। कभी समाज का कानून, कभी पति, भाई या बेटे की सोच। अगर हमें अपनी स्वेच्छा पर छोड़ा जाए, तो हम दुनिया चला सकती हैं।


बॉयकॉट ट्रेंड के बारे में क्या कहना चाहेंगी?
हम फिल्में दर्शकों के लिए बनाते हैं। ये सच है और दर्शक से बड़ा कुछ नहीं है। ऑडियंस ही है, जो समय और पैसा खर्च करके हमारी फिल्में देखने आते हैं। मुझे लगता है, हमें उन्हें सुनने की जरूरत है। हम अच्छी फिल्म बनाएंगे तो जरूर चलेगी, नहीं बनाएंगे तो नहीं चलेगी।

 

Chief Editor- Jasdeep Singh  (National Award Winner)