जजों की भर्ती में देरी के लिए सिर्फ सरकार नहीं, सुप्रीम कोर्ट भी जिम्मेदार: संसदीय समिति

Punjab Junction Weekly Newspaper / 12 December 2022

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्तियों में देरी को लेकर सरकार पर अड़ंगेबाजी का आरोप लगा रहा है। इसी बीच विधि एवं न्याय पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि जजों की नियुक्ति को सिर्फ सरकार ने नहीं, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भी लटकाया है। रिपोर्ट कहती है कि जजों की नियुक्ति के लिए तय टाइमलाइन से कार्यपालिका (सरकार) और न्यायपालिका (सुप्रीम कोर्ट), दोनों ही विचलित हुए। गुरुवार को संसद में पेश इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जजों की नियुक्ति में देरी की इस स्थायी समस्या से निपटने के लिए कार्यपालिका और न्यायपालिका से लीक से हटकर नई सोच के साथ आगे आना होगा। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह केंद्रीय कानून मंत्रालय के न्याय विभाग की टिप्पणियों से सहमत नहीं है कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्तियों का समय इंगित नहीं किया जा सकता।

समिति ने कहा कि सेकेंड जजेज केस और न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) में भी समयसीमा रखी गई है। समिति ने अफसोस जताते हुए कहा, ‘लेकिन खेदजनक है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों में उन समय-सीमाओं का पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे रिक्तियों को भरने में देरी हो रही है।’ संसदीय समिति ने कहा कि सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 31 दिसंबर, 2021 तक तेलंगाना, पटना और दिल्ली हाई कोर्ट्स में स्वीकृत पदों की तुलना में 50 प्रतिशत जबकि 10 उच्च न्यायालयों में 40 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली थे।

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा, ‘सभी बड़े राज्य हैं, जहां जनसंख्या के अनुपात में न्यायाधीशों का अनुपात पहले से ही कम है और इस तरह की रिक्तियां गहन चिंता का विषय है।’ समिति ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका को उच्च न्यायालयों में रिक्तियों की इस बारहमासी समस्या से निपटने के लिए नए तरीके से सोचना चाहिए।

  • Chief Editor- Jasdeep Singh  (National Award Winner)