Punjab Junction Weekly Newspaper / 04 November 2022
अखिलेश सिंह, नई दिल्ली: गुजरात में चुनाव काफी समय से दो ध्रुवीय रहा है लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी के मैदान में उतरने से यह मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। कांग्रेस पहले से ही मुख्य विपक्षी दल है और पिछले चुनाव में उसका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। फिर भी भाजपा पूरे कॉन्फिडेंस में दिख रही है। निर्वाचन आयोग की ओर से गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं। भाजपा इस चुनाव में न सिर्फ लगातार सातवीं बार रेकॉर्ड जीत हासिल करना चाहेगी बल्कि 2017 की तुलना में अपनी टैली भी दुरुस्त करने की भरसक कोशिश करेगी। उधर, राज्य में उसकी पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस इस बार काफी सुस्त और भटकी हुई दिख रही है जबकि पिछले चुनाव में उसने जोरदार तरीके से चुनाव लड़ा था।
भगवा दल पिछले 27 साल से गुजरात में जीतता आ रहा है। जी हां, 1995 के बाद से राज्य के सभी चुनाव बीजेपी ने जीते हैं। 2017 में उसे कड़ी चुनौती मिली थी लेकिन करीब 50 फीसदी वोट हासिल करते हुए वह जीत हासिल करने में कामयाब रही। हालांकि सच्चाई यह भी है मार्जिन कम रहा था। 2017 में कड़ी फाइट मिलने की अपनी वजहें थीं। उस समय पूरे राज्य में पाटीदार समुदाय में गुस्सा देखा जा रहा था, जीएसटी प्रणाली को लेकर कारोबारियों में बेचैनी थी। इसके अलावा तटीय इलाकों में मछुआरों के विरोध जैसे कई छोटे मसले थे जिससे भाजपा को नुकसान हुआ था। फिलहाल हालात बदल चुके हैं।
पार्टी को लगता है कि उसके सामने कोई रिस्क फैक्टर नहीं है। वह केंद्र और राज्य सरकार के प्रदर्शन, नरेंद्र मोदी के करिश्मे और केंद्र की कल्याणकारी पहलों के जरिए पीएम के गृह राज्य में एक बार फिर कमल खिलाने में कामयाब रहेगी। नर्मदा नदी पर बांध के खिलाफ फूटा मछुआरों का गुस्सा भी ठंडा पड़ चुका है और वे प्रोजेक्ट के लिए सहमत हो गए हैं। इससे उनकी कमाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
AAP बढ़ी तो कांग्रेस को नुकसान?
हालांकि गुजरात में आम आदमी पार्टी के उभार की काफी चर्चा है खासतौर से सौराष्ट क्षेत्र में। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी को नाराजगी के पर्सेप्शन को वोटों में तब्दील कराने में काफी संघर्ष करना होगा। भाजपा का साफ तौर पर मानना है कि अगर AAP को वोट मिलते भी हैं तो वह कांग्रेस के वोटबैंक में सेंध होगा, जो एक तरह से भगवा दल के फायदे की बात होगी।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की बातों में आत्मविश्वास झलक रहा है कि गुजरात विधानसभा में पार्टी की टैली में सुधार होगा। उन्होंने कहा है कि भाजपा गुजरात में बड़े मार्जिन से जीतने जा रही है।
भाजपा के लिए फैक्टर्स काफी सपोर्ट में दिख रहे हैं लेकिन वह किसी तरह की ढिलाई के मूड में नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों फ्रंट पर लीड कर रहे हैं। राज्य में चुनाव की घोषणा होने से पहले ही दोनों नेता कई बार गुजरात के दौरे पर गए।
पिछले दिनों मोदी ने कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी और कुछ का उद्घाटन किया था। भाजपा की टॉप लीडरशिप ने इनकम्बेंसी के नजरिए से ग्राउंड लेवल पर जमीनी हकीकत का आकलन किया है। ढाई दशक से पार्टी सत्ता में है। ऐसे में भाजपा हर पहलू पर गौर कर रही है। राजस्थान की सीमा से लगे बनासकांठा क्षेत्र के आदिवासी इलाके पार्टी के लिए चुनौती हैं, यहां पार्टी का प्रदर्शन पिछली बार सबसे खराब रहा था। 182 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी घटकर 99 पर आ गई थी।
AAP और कांग्रेस का हाल
AAP के लिए गुजरात का चुनाव काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे उम्मीद है कि यहां उसने चुनाव जीत लिया तो उसके राष्ट्रव्यापी अभियान को बहुत बल मिलेगा। कांग्रेस की कोशिश पिछले 27 साल से विपक्ष की अपनी भूमिका को समाप्त कर सत्ता में वापसी करने की है। लेकिन अभी तक पार्टी के शीर्ष नेताओं की राज्य में कोई सक्रियता नहीं दिखी है। प्रदेश स्तर के नेता जरूर जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं।
गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में 27 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए और 13 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। वर्तमान विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की कुल संख्या 111 है जबकि कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 62 है। विधानसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का एक और भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो सदस्य हैं। एक निर्दलीय विधायक भी है जबकि पांच सीटें इस समय खाली हैं।
Chief Editor- Jasdeep Singh (National Award Winner)