Punjab Junction Weekly Newspaper / 29 September 2024
कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ को सेंसर बोर्ड की तरफ से U/A सर्टिफिकेट दे दिया गया है। हालांकि, इसी के साथ सेंसर बोर्ड ने कुछ शर्तें भी रख दी है। कंगना की फिल्म ‘इमरजेंसी’ जहां 6 सितंबर को रिलीज होनी थी, वहीं इसे लेकर अब तक असमंजस बरकरार है।
फिलहाल सेंसर बोर्ड और फिल्म मेकर्स के बीच ठन चुकी है। अब सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कुछ सीन कट करने की डिमांड भी रख दी है। गुरुवार को इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सवाल पूछा, जिसके जवाब में सेंसर बोर्ड ने साफ कर दिया है कि फिल्म तभी रिलीज हो पाएगी जब इसपर कुछ कट्स लगेंगे। वहीं ये याद दिलाना जरूरी है कि इससे पहले कंगना रनौत अपने एक इंटरव्यू में यहां तक कह चुकी हैं, ‘मैं फिल्म का अनकट वर्जन रिलीज करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं, मैं अदालत से लड़ूंगी और बिना कट के फिल्म रिलीज कराऊंगी।’
मेकर्स ने मांगी है कट्स पर विचार करने के लिए मोहलत
हालांकि, अब सेंसर बोर्ड के इस निर्देश पर फिल्म के को-प्रोड्यूसर्स जी स्टूडियो की ओर से कहा गया है कि फिल्म में कट्स लगाने को लेकर फैसला लेने के लिए उन्हें थोड़ा वक्त चाहिए। हालांकि, पहले हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को 25 सितंबर तक फिल्म की रिलीज पर फैसला लेने को कहा था, लेकिन अब अगली सुनवाई 30 सितम्बर को होनी है। यानी इससे पहले ही सेंसर बोर्ड और मेकर्स के बीच जो गुत्थी है उसे सुलझानी जरूरी है।
सेंसर बोर्ड ने दिए 13 कट्स के निर्देश
सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म में 13 कट्स के निर्देश दिए हैं और इसी के साथ फिल्म को UA सर्टिफिकेट की मंजूरी भी दी है। आइए जानते हैं कंगना द्वारा निर्देशित और को-प्रड्यूस हो रही इस फिल्म में कौन से सीन या डायलॉग सेंसर बोर्ड की आंखों में चुभ रहे हैं। आइए जानते हैं, बोर्ड ने कैसे-कैसे कट्स और बदलाव के दिए हैं निर्देश। कहा जा रहा है कि ये ऐसे सीन है जिसपर सिख समुदाय की तरफ से आपत्ति आई है।
फिल्म की शुरुआत में एक डिस्क्लेमर ऐड किया जाए
– सेंसर बोर्ड ने निर्देश दिया है कि फिल्म की शुरुआत में एक डिस्क्लेमर ऐड किया जाए। जहां लिखा जाए कि फिल्म ‘सच्ची घटनाओं से प्रेरित’ है और यह एक ‘नाटकीय रूपांतरण’ है। वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक सूत्र ने कहा है कि वे चाहते हैं कि फिल्म देखने वालों को ये साफ हो जाए कि यह घटनाओं का एक नाटकीय रूपांतरण है, ताकि इसमें दिखाई की गई हर बात को पूरा सच न माना जाए।
‘चीन ने असम को भारत से अलग कर दिया’
फिल्म में शुरुआती 10 मिनट के एक सीन में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ये कहते हैं कि चीन ने असम को भारत से अलग कर दिया है। अब बोर्ड ने मेकर्स से इस डायलॉग का रियल सोर्स दिखाने को कहा है। रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि सेंसर बोर्ड की अमेंडमेंट कमेटी में इतिहासकार हैं और उन्हें याद नहीं है कि ऐसा कभी कुछ हुआ था।
भिंडरावाले और संजय गांधी का डायलॉग
फिल्म में 1 घंटे 52 मिनट पर एक सीन है जिसमें भिंडरावाले को संजय गांधी से यह कहते हुए सुना जाता है कि ‘तवादी पार्टी नु वोट चाइदे ने, ते सानू चैंडये खालिस्तान (आपकी पार्टी को वोट चाहिए, हमें खालिस्तान चाहिए)’। बोर्ड ने यहां भी आपत्ति जताई है। बोर्ड की डिमांड है कि इस लाइन को हटा दिया जाए, क्योंकि इस डायलॉग से ऐसा लग रहा है कि भिंडरावाले संजय गांधी के साथ सौदा कर रहा हो। इस डायलॉग के लिए भी बोर्ड ने रियल सोर्स सबूत के तौर पर मांगे हैं।
संजय गांधी और राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के बीच बातचीत
फिल्म के तीन सीन से भिंडरावाले का नाम हटाने का निर्देश दिया गया है। भले ही भिंडरावाले का किरदार फ्रेम में न हो। जैसे संजय गांधी और तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के बीच बातचीत है और एक अन्य सीन में इंदिरा गांधी और सेना प्रमुख के बीच बातचीत है, जिसमें भिंडरावाले को लेकर चर्चा है। बोर्ड चाहता है कि इसे उस सीन से हटा दिया जाए।
भिंडरावाले को ‘संत’ कहने पर आपत्ति
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों से मिली जानकारी शेयर करते हुए बताया है कि कुछ समूह ऐसे थे जो भिंडरावाले को ‘संत’ कहने पर आपत्ति जता रहे थे और कुछ अन्य लोगों का आरोप था कि उन्हें गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। इसलिए उनका नाम और संत के रूप में उनके उल्लेख की वजह से उन्हें हटाने का निर्देश दिया गया है।
सिखों द्वारा गैर-सिखों पर की गई हिंसा को कम करने का निर्देश
बोर्ड ने मेकर्स से फिल्म के 2 घंटे 11 मिनट के एक सीन में सिखों द्वारा गैर-सिखों पर की गई हिंसा को कम करने के लिए भी कहा है।
सिखों द्वारा बस के सामने गैर-सिखों पर गोली चलाने वाला सीन
एक सीन को हटाने की मांग की है, जिसमें सिखों को बस के सामने गैर-सिखों पर गोली चलाते हुए दिखाया गया है। ये सीन उन लोगों को आपत्तिजनक लगे जिन्होंने फिल्म के खिलाफ आवाज उठाई थी।
‘अर्जुन दिवस’ वाला जिक्र हटाने के लिए कहा
फिल्म में 2 घंटे 12 मिनट के एक सीन में इंदिरा गांधी और तत्कालीन सेना प्रमुख को ऑपरेशन ब्लूस्टार पर चर्चा करते हुए दिखाया गया है। डायलॉग में एक लाइन है, जिसमें कहा गया है कि ऑपरेशन ‘अर्जुन दिवस’ पर शुरू होना था, जो गुरु अर्जन की शहादत की सालगिरह का दिन है। पांचवें सिख गुरु जिन्होंने पहला हरमंदिर साहिब (आज के स्वर्ण मंदिर का पूर्ववर्ती) बनवाया था। बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं से ‘अर्जुन दिवस’ वाला जिक्र हटाने के लिए कहा है। बोर्ड का कहना है कि सिख धार्मिक परंपराओं में ऐसा कोई शब्द मौजूद ही नहीं है।
Chief Editor- Jasdeep Singh (National Award Winner)